Tuesday 25 October 2022

मुलाक़ात नहीं होती.........

घर में मेरे रहमतों की बरसात नहीं होती,, 

जब से यारों , उनसे मेरी मुलाक़ात नहीं होती,, 


मै तन्हा ही जागा करता हूँ अब रातों को,, 

और online होकर भी उनसे मेरी बात नहीं होती,,


जब से यारों , उनसे मेरी मुलाक़ात नहीं होती...


हाँ मैंने माना की फ़िक़्र आज भी वो करता है,, 

मगर ऐ दिल न जाने किस बात से वो डरता है,, 


यूं तो कोई किसी को नज़र-अंदाज़ नहीं किया करता,,

याकिनन यादें मेरी अब उनके साथ नहीं होती,,


जब से यारों , उनसे मेरी मुलाक़ात नहीं होती...


और दुआएँ भी मेरी ना-मुक़म्मल है "साबिर"

जब तलक दुआओं में मेरे , उनकी बात नहीं होती,,


जब से यारों , उनसे मेरी मुलाक़ात नहीं होती....!!! 


                                             - साबिर बख़्शी

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