Tuesday 25 October 2022

तू कभी मेरी हो न पाई....

सुन अब तो तू हज़ार वादें कर ले 

और दे-दे चाहे मुझे लाखो सफाई


मगर इतना तो बता ये कैसे भूलूँगा मैं  

के फितरत में तेरी शामिल है बेवफाई  


मान लिया तुझे गलती का एहसास है

पर कुछ बातें तूने अब भी है छिपाई


भले ही बार-बार तूने माफ़ी है मांगी

और फिर साथ मरने की कस्मे है खाई


पर वो गलतियां दोहराई न जाए कहीं

इस बात ने मेरे रातों की नींदे है उड़ाई


हाँ मैं तेरा था और सदा तेरा ही रहूँगा 

मगर मेरी जान तू कभी मेरी हो न पाई.....!!!


                           - साबिर बख़्शी 

इश्क़ में लोग कैसे....

बना कर जगह दिल में,, 

नज़रों से उतर जाते है,, 


ये कैसा ज़माना है आ गया,, 

बात बात में लोग मुक़र जाते है।


और हम यक़ी कैसे करे उनका 

जो कभी इधर कभी उधर जाते है 


अब कोई बताये तो जाने "साबिर" 

के इश्क़ में लोग कैसे बिगड़ जाते है |


                           -साबिर बख़्शी

मुलाक़ात नहीं होती.........

घर में मेरे रहमतों की बरसात नहीं होती,, 

जब से यारों , उनसे मेरी मुलाक़ात नहीं होती,, 


मै तन्हा ही जागा करता हूँ अब रातों को,, 

और online होकर भी उनसे मेरी बात नहीं होती,,


जब से यारों , उनसे मेरी मुलाक़ात नहीं होती...


हाँ मैंने माना की फ़िक़्र आज भी वो करता है,, 

मगर ऐ दिल न जाने किस बात से वो डरता है,, 


यूं तो कोई किसी को नज़र-अंदाज़ नहीं किया करता,,

याकिनन यादें मेरी अब उनके साथ नहीं होती,,


जब से यारों , उनसे मेरी मुलाक़ात नहीं होती...


और दुआएँ भी मेरी ना-मुक़म्मल है "साबिर"

जब तलक दुआओं में मेरे , उनकी बात नहीं होती,,


जब से यारों , उनसे मेरी मुलाक़ात नहीं होती....!!! 


                                             - साबिर बख़्शी

तू कभी मेरी हो न पाई....

सुन अब तो तू हज़ार वादें कर ले  और दे-दे चाहे मुझे लाखो सफाई मगर इतना तो बता ये कैसे भूलूँगा मैं   के फितरत में तेरी शामिल है बेवफाई   मान लि...