बना कर जगह दिल में,,
नज़रों से उतर जाते है,,
ये कैसा ज़माना है आ गया,,
बात बात में लोग मुक़र जाते है।
और हम यक़ी कैसे करे उनका
जो कभी इधर कभी उधर जाते है
अब कोई बताये तो जाने "साबिर"
के इश्क़ में लोग कैसे बिगड़ जाते है |
-साबिर बख़्शी
सुन अब तो तू हज़ार वादें कर ले और दे-दे चाहे मुझे लाखो सफाई मगर इतना तो बता ये कैसे भूलूँगा मैं के फितरत में तेरी शामिल है बेवफाई मान लि...
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