तो आ अब घर से निकल,
दुआएँ साथ लेकर तू चल,
बेशक़ अँधेरे होंगे राह में,
ना डर, सूरज सा तू जल,
तो आ अब घर से निकल..!
मंज़िल की तलाश में चल,
पर खुद से जीत हर - पल,
बनेंगे ठोकर राह में लोग,
बढ़ना आगे कर के तु छल,
तो आ अब घर से निकल..!
मुश्किलों से सिख लड़ना,
वक़्त से आगे आ निकल,
लगा कर सूझबुझ अपनी,
हर क़दम गिर कर संभल,
तो आ अब घर से निकल...!
दुआएँ साथ लेकर तू चल,
बेशक़ अँधेरे होंगे राह में,
ना डर, सूरज सा तू जल,
तो आ अब घर से निकल..!
मंज़िल की तलाश में चल,
पर खुद से जीत हर - पल,
बनेंगे ठोकर राह में लोग,
बढ़ना आगे कर के तु छल,
तो आ अब घर से निकल..!
मुश्किलों से सिख लड़ना,
वक़्त से आगे आ निकल,
लगा कर सूझबुझ अपनी,
हर क़दम गिर कर संभल,
तो आ अब घर से निकल...!