Tuesday 18 June 2019

अब घर से निकल......

तो आ अब घर से निकल,
दुआएँ साथ लेकर तू चल,
बेशक़ अँधेरे  होंगे राह में,
ना डर, सूरज  सा तू जल,

तो आ अब घर से निकल..!

मंज़िल की तलाश में चल,
पर खुद से जीत हर - पल,
बनेंगे  ठोकर  राह में लोग,
बढ़ना आगे कर के तु छल,

तो आ अब घर से निकल..! 

मुश्किलों से सिख लड़ना,
वक़्त से आगे आ निकल,
लगा कर सूझबुझ अपनी,
हर क़दम गिर कर संभल,

तो आ अब घर से निकल...! 

-साबिर बख़्शी

Wednesday 12 June 2019

KHAMOSH AAVAAJ ;2

#justicefor #ट्विंकल

बलात्कारी हो या हत्यारे, हिन्दु हो या मुस्लमान
कुछ तकलीफें झेल कर छूट ही  जाते है शैतान
किसकी है गलती बस इस बात पे करते है चर्चे
मोम्बत्तियाँ तो जलाते है पर ढूंढते नहीं समाधान

बदनामियों के बाद बदल  लेते है घर-व-पहचान
बिकता है हर सबूत लगाओ बस ठीक अनुमान
लोग यहाँ  हर रोज  एक नई  वज़ह तलाश कर
इसकी, उसकी  गलती बता  कर भरते है कान

तहज़ीब  में रहकर करते है लोग यहाँ अपमान
इंसान सारे मर चुके है  यहाँ रहते है बस हैवान
थोड़ी ख़ामोशी से मचाते है  यहाँ शोर-ओ-गुल
शर्मसार होता रहा है  हर बार सारा हिन्दुस्तान

ना जाने किस की सूरत में  दिखने लगे शैतान
सहमा - सहमा रहने  लगा है  यहाँ हर  इंसान
घरो में हर रोज आने लगे है नए - नए  किस्से
सुनते है यहाँ लोग, चुप बैठे है  सियासत-दान

फूल खिलते ही  चमन में , छीन  लेते है जान
उम्र दिखे, न दिखे  मासूमियत, है कैसे इंसान
रो पड़ती है  'साबिर'  वे -जान चीज़े भी यहाँ
बस पिघलता  नहीं दिल उनका, जो है हैवान

-साबिर बख़्शी 

तू कभी मेरी हो न पाई....

सुन अब तो तू हज़ार वादें कर ले  और दे-दे चाहे मुझे लाखो सफाई मगर इतना तो बता ये कैसे भूलूँगा मैं   के फितरत में तेरी शामिल है बेवफाई   मान लि...