Saturday 3 November 2018

हमने उन्हें माँगा था खुदा से.....

नज़रों की बातें, नज़रों से ही वो
जान  लेते  तो  क्या  बात थी,,

जिसे चाहते थे हम, वो भी हमें
चाहते  तो  क्या  बात  थी,,

पाने का अरमान तो था, बिन मांगे
मिल  जाते  तो  क्या  बात  थी,,

कहने की कोशिश तो की हमने, काश
वो  समझ  लेते  तो  क्या  बात  थी,,

इस दिल में प्यार था कितना, काश
वो  जान  लेते  तो  क्या  बात  थी,,

ख्वाबों में तो मिला करते थे,वो कभी
हक़ीक़त में  मिलते तो  क्या बात थी,,

हसी के पल तो साथ गुज़रे, काश
वो साथ रो लेते तो क्या बात थी,,

हमने उन्हें मंज़िल तो मान लिया, काश के
वो हमसफ़र मान लेते  तो क्या  बात  थी,,

अपना कल देखा था हमने साथ उनके
वो  भी  देख  लेते  तो  क्या  बात  थी,,

हमने उन्हें माँगा था खुदा से 'साबिर'
काश वो भी मांग लेते तो क्या बात थी..

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