Thursday 26 July 2018

हालत-ए-ज़िन्दगी

वक़्त ही तो था,बदल गया,
तो क्या हुआ...
दिल ही तो था, टूट गया,
तो क्या हुआ... 
इंसान ही तो था, बदल गया,
तो क्या हुआ... 
सबर ही तो था, टूट गया,
तो क्या हुआ... 
बात ही तो था, चुभ गया,
तो क्या हुआ...
साथ ही तो था,छूट गया,
तो क्या हुआ... 

तक़दीर से क्या होता है,
ज़िद्द तक़दीर बदल देती है,,,

हालत से क्या होता है,
इरादे हालत-ए-ज़िन्दगी बदल देती है..

मुश्किलों से क्या होता है,
दुआए मुश्किलें हल कर देती है.!!
                     बख़्श✍

Saturday 21 July 2018

अलफ़ाज़-ए-मोहब्बत

1_लब पे मेरे अलफ़ाज़ तुम्हारा होगा,,,
ख़ामोशी में मेरी राज़ तुम्हारा होगा,,,
इश्क़ के गलियों से गुज़रा कभी जो मै तो,,,
सर पे मेरे इश्क़-ए-ताज तुम्हारा होगा....!!!!

2_मोहब्बत के मायने मोहब्बत से समझाऊं,,,
ख्वाहिशें दिल की महज़ इशारो से बताऊ,,,
ज़माने की हर बुराई से रखु महफ़ूज़ तुझे,,,
आ क़रीब दिल के तुझे धरकन में छिपाऊं....!!!!

3_थम सा गया है लम्हा यादों को याद करके,,,
बढ़ रही है चाहत गुज़रे वक़्त को करके,,,
गुज़र रही है वक़्त-ए-ज़िन्दगी यादों में तेरे लेकिन,,,
वक़्त गुज़रे वक़्त से खफा है तुम्हें याद करके...!!!!i
                                                   🔷 बख़्श डायरी🔷

तू कभी मेरी हो न पाई....

सुन अब तो तू हज़ार वादें कर ले  और दे-दे चाहे मुझे लाखो सफाई मगर इतना तो बता ये कैसे भूलूँगा मैं   के फितरत में तेरी शामिल है बेवफाई   मान लि...