क्या ख़बर किस किरदार में हो अंत तेरी कहानी का,,
सहज-सहज के चल न भूल सबक़ तू ज़िंदगानी का,,
घमंड न-कर इस बात का के अक़्ल-ओ-दानिश है तू,,
देख ले गुज़रे दौर में ज़रा हाल-ओ-क़ाल ग्यानी का..
सहज-सहज के चल न भूल सबक़ तू ज़िंदगानी का,,
फ़क़्त मिट्टी का होगा 'साबिर' आखरी आशियाँ तेरा,,
किया-धरा भुगतना होगा सबक़ तुझे तेरी नादानी का..
सहज-सहज के चल न भूल सबक़ तू ज़िंदगानी का,,
सहज-सहज के चल न भूल सबक़ तू ज़िंदगानी का,,
घमंड न-कर इस बात का के अक़्ल-ओ-दानिश है तू,,
देख ले गुज़रे दौर में ज़रा हाल-ओ-क़ाल ग्यानी का..
सहज-सहज के चल न भूल सबक़ तू ज़िंदगानी का,,
फ़क़्त मिट्टी का होगा 'साबिर' आखरी आशियाँ तेरा,,
किया-धरा भुगतना होगा सबक़ तुझे तेरी नादानी का..
सहज-सहज के चल न भूल सबक़ तू ज़िंदगानी का,,