Monday 29 October 2018

अंत तेरी कहानी का.......

क्या ख़बर किस किरदार में हो अंत तेरी कहानी का,,
सहज-सहज के चल न भूल सबक़ तू ज़िंदगानी का,,

घमंड न-कर इस बात का के अक़्ल-ओ-दानिश है तू,,
देख ले गुज़रे दौर में ज़रा हाल-ओ-क़ाल ग्यानी का..

सहज-सहज के चल न भूल सबक़ तू ज़िंदगानी का,,

फ़क़्त मिट्टी का होगा 'साबिर' आखरी आशियाँ तेरा,,
किया-धरा भुगतना होगा सबक़ तुझे तेरी नादानी का..

सहज-सहज के चल न भूल सबक़ तू ज़िंदगानी का,,

Thursday 11 October 2018

अभी इतना मशहूर तो नहीं...

माना के ज़िन्दगी कुछ नाराज़ है मुझसे मगर मैं मजबुर तो नहीं,, 

फासले है क़ाएम कुछ अपनों से मगर खुद से मैं दूर तो नहीं,, 

हर दिल है वाक़िफ़ मुझसे कुछ आइने जैसी है शख्शियत मेरी,, 

समझ ले दुनिया हैं बुराईयाँ मुझमे बहुत मगर मैं मगरूर तो नहीं...

वक़्त बदलते ही रवाजों की तरह जो बदल जाये मैं कोई 
दस्तूर तो नहीं,, 

कुछ चोट गहरे है मगर अपनों को खोने से न-डरे इतना ये दिल 
बहादुर तो नहीं,, 

हाँ टूटकर बिखरा है ये दिल मगर खुद के जज़्बात न-समझे इतना 
चूर तो नहीं,, 

हर पल किसी के ख्वाहिशों में रहे 'साबिर' अभी इतना मशहूर तो नहीं...

दुआए साथ ले कर चले......

गुमनाम राहों पे अश्क़ों की बरसात ले कर चले,,
ख्वाहिशो के खातीर यादों की बारात ले कर चले,,
कुछ तन्हा-तन्हा था सफर कुछ सुनी थी रात,,
सर-ए-राह-तलब हाथो में चराग़ ले कर चले..

दिल थाम कर कुछ हसीन जज़्बात ले कर चले,,
अपनों से दूर दिल में अपनों की सौगात ले कर चले,,
दिल-ए-नादान की कुछ अनकही ख्वाहिश के खातीर,,
मंज़िल की ज़ानिब 'साबिर' दुआए साथ ले कर चले... 

तू कभी मेरी हो न पाई....

सुन अब तो तू हज़ार वादें कर ले  और दे-दे चाहे मुझे लाखो सफाई मगर इतना तो बता ये कैसे भूलूँगा मैं   के फितरत में तेरी शामिल है बेवफाई   मान लि...