Friday 8 March 2019

इंसान-ज़ादा हुँ मैं..…..

हाँ - हाँ  वद  से  भी बुरा  हुँ  मैं
फिर भी मुझसा अच्छा कोई नहीं |

गुनाहों के साथ साथ खड़ा हुँ मैं
फिर भी मुझ सा अच्छा कोई नहीं |

नेकी के नाम से अक्सर डरा हुँ मैं
फिर भी मुझ सा अच्छा कोई नहीं |

है खबर गुनाहों से भी बड़ा हुँ मैं
फिर भी मुझ सा अच्छा कोई नहीं |

समझदारी की बात पे लड़ा हुँ मैं
फिर भी मुझ सा अच्छा कोई नहीं |

ग़लत होकर भी ज़िद्द पे अड़ा हुँ मैं
फिर भी मुझ सा अच्छा कोई नहीं |

हज़ारों के भीड़ में भी तन्हा रहा हुँ मैं
फिर भी मुझ सा अच्छा कोई नहीं |

ग़लत पाकर खुदको कई बार मरा हुँ मैं
फिर भी मुझ सा अच्छा कोई नहीं |

गुस्ताख़ी-दर-गुस्ताख़ी कर रहा हुँ मैं
फिर भी मुझ सा अच्छा कोई नहीं |

हाँ हाँ 'साबिर' इंसान-ज़ादा जो हुँ मैं....!!! 


-साबिर बख़्शी 

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