किसी का किसी से से हर रोज़ एक ही वक़्त पे बातें करना
किसी की खुशियों को गम में तब्दील करने लगती है
किसी को अपनी ज़िन्दगी जन्नत सी लगने लगती है |
कोई अपनी ज़िन्दगी में मशगूल हो कर रह जाता है
किसी की मशगूल ज़िन्दगी भी तन्हा गुजरने लगती है |
कोई उम्र-भर खुशियाँ तलाशता ही रह जाता है
किसी को हर मोड़ पर खुशियाँ तलाशने लगती है |
कोई ता-उम्र यादों के घर में कैद रह जाता है
और किसी को हर रोज़ यादें ढूढ़ने लगती है |
कोई एक लफ्ज़ में सब कुछ कह जाता है 'साबिर'
और किसी को समझने में ज़िन्दगी लगने लगती हैं |
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