Thursday 11 October 2018

दुआए साथ ले कर चले......

गुमनाम राहों पे अश्क़ों की बरसात ले कर चले,,
ख्वाहिशो के खातीर यादों की बारात ले कर चले,,
कुछ तन्हा-तन्हा था सफर कुछ सुनी थी रात,,
सर-ए-राह-तलब हाथो में चराग़ ले कर चले..

दिल थाम कर कुछ हसीन जज़्बात ले कर चले,,
अपनों से दूर दिल में अपनों की सौगात ले कर चले,,
दिल-ए-नादान की कुछ अनकही ख्वाहिश के खातीर,,
मंज़िल की ज़ानिब 'साबिर' दुआए साथ ले कर चले... 

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