तरीक़ा-ए-मोहब्बत भी हमने इख़्तियार किया,,
दिल-ए-मन की बातें भी हमने बार-बार किया,,
मसरूफ था वो अपनी ही ज़िन्दगी में,,
हमने हर पहर जिसका इंतेज़ार किया..
इश्क़-ए-दुनिया से शायद वो वाक़िफ़ न था,,
हमने बंद आँखों से जिसका ऐतबार किया..
महज़ नज़रों के ही क़रीब रहता था वो,,
हमने करीबियों में जिसका शुमार किया..
इंतेहा-ए-इश्क़ पूछ बैठा मुझसे वो मेरी,,
हमने जिसके खातिर रूह-ए-बेज़ार किया..
समझ न सका वो कभी मेरे खुशियों की वजह,,
हमने सहर से जिसके दर्द-ए-गम तार-तार किया,,
न जाने किसकी मोहब्बत छिपाये बैठा था वो दिल में,,
हमने जिसका रुख पढ़े बिना ही शिद्दत से प्यार किया..
आखिर क्यों मानता नहीं दिल के वो बे'वफा है,,
हमने ख्वाबों में भी जिसका फ़क़त इंतेज़ार किया..
No comments:
Post a Comment
Plz comment if you like the post