Sunday 2 September 2018

अल्फ़ाज़--ए--मोहब्बत

इश्क़ हूँ मैं वफ़ा है तू,,

मर्ज़ हूँ मैं दबा है तू,,

गुमनाम है राहें मेरी,,

मंज़िल हूँ मैं दुआ है तू..


भूक हूँ मैं ग़िज़ा है तू,,

जख्म हूँ मैं ईज़ा है तू,,

निखरता हूँ जहाँ सदा,,

फूल हूँ मैं वो रौज़ा है तू...


हवा हूँ मैं फ़ज़ा है तू,,

तक़दीर हूँ मैं जाँ-फ़िज़ा है तू,,

ज़िन्दगी से एक क़दम आगे,,

मौत हूँ मैं अज़ा है तू...


आसमान हूँ मैं जा-ब-जा है तू,,

ख्वाहिश हूँ मैं मुक़तज़ा है तू,,

हर पल दिल मेरा पाना चाहे जिसे,,

गुनाह हूँ मैं वो हसीन सज़ा है तू.

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