तुम से मिलने की तमन्ना तो अब भी है दिल में मेरे,,
फिर न जाने क्यों तुम से बिछड़ कर मुझे अच्छा लगा..
वज़ह और भी है ज़माने में ज़िंदा रैहने के लिए,,
पर दिल को मेरे तेरी याद में जीना अच्छा लगा..
हमनवा मेरे करता रहू बातें तुम से शाम-ओ-सहर ये चाहता था मैं,,
फिर न जाने क्यों मेरे दिल का ख़ामोशी इख़्तियार करना मुझे अच्छा लगा..
फिर न जाने क्यों तुम से बिछड़ कर मुझे अच्छा लगा..
वज़ह और भी है ज़माने में ज़िंदा रैहने के लिए,,
पर दिल को मेरे तेरी याद में जीना अच्छा लगा..
हमनवा मेरे करता रहू बातें तुम से शाम-ओ-सहर ये चाहता था मैं,,
फिर न जाने क्यों मेरे दिल का ख़ामोशी इख़्तियार करना मुझे अच्छा लगा..
No comments:
Post a Comment
Plz comment if you like the post