राह-ए-हक़ पे चल कर,अज़मत की बात कर,,
ए क़ौम-ए-हिन्द मेरे भारत की बात कर,,
नफरत को मिटा कर संसार मे मोहब्बत क़ाएम कर,,
नूर-ए-हक़ फैला कर फ़ज़ाओं में चाहत की बात कर,,
ए क़ौम-ए-हिन्द मेरे भारत की बात कर..!!
सरहद-ए-मौत पर दिवार बन खड़े थे चमन के वास्ते वतन वाले,,
ललकार से जिनके फ़ज़ाएँ गूँज उठी थी उनके हिम्मत की बात कर,,
ए क़ौम-ए-हिन्द मेरे भारत की बात कर..!!
वतन-परस्तों ने वतन को दिल-ए-अज़ीज़ जान कर,,
आज़ादी के खातिर जान दी है उनके शहादत की बात कर,,
ए क़ौम-ए-हिन्द मेरे भारत की बात कर..!!
तोड़ कर बंदिशें ज़ात-पात की 'साबिर' अब खुद को आज़ाद कर,,
लूट चुकी आबरूऐं बहुत वतन की अब हिफाज़त की बात कर,,
ए क़ौम-ए-हिन्द मेरे भारत की बात कर..!!
ए क़ौम-ए-हिन्द मेरे भारत की बात कर,,
नफरत को मिटा कर संसार मे मोहब्बत क़ाएम कर,,
नूर-ए-हक़ फैला कर फ़ज़ाओं में चाहत की बात कर,,
ए क़ौम-ए-हिन्द मेरे भारत की बात कर..!!
सरहद-ए-मौत पर दिवार बन खड़े थे चमन के वास्ते वतन वाले,,
ललकार से जिनके फ़ज़ाएँ गूँज उठी थी उनके हिम्मत की बात कर,,
ए क़ौम-ए-हिन्द मेरे भारत की बात कर..!!
वतन-परस्तों ने वतन को दिल-ए-अज़ीज़ जान कर,,
आज़ादी के खातिर जान दी है उनके शहादत की बात कर,,
ए क़ौम-ए-हिन्द मेरे भारत की बात कर..!!
तोड़ कर बंदिशें ज़ात-पात की 'साबिर' अब खुद को आज़ाद कर,,
लूट चुकी आबरूऐं बहुत वतन की अब हिफाज़त की बात कर,,
ए क़ौम-ए-हिन्द मेरे भारत की बात कर..!!
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